भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाह शिवशंकर मेनन ने कहा है कि भारत को खतरा पाकिस्तान या चीन जैसी बाहरी ताकतों से नहीं हैं बल्कि उसके सामने मौजूद खतरे ‘आंतरिक’ हैं और ये सांप्रदायिक एवं सामाजिक हिंसा से पैदा होते हैं।
भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाह शिवशंकर मेनन ने कहा है कि भारत को खतरा पाकिस्तान या चीन जैसी बाहरी ताकतों से नहीं हैं बल्कि उसके सामने मौजूद खतरे ‘आंतरिक’ हैं और ये सांप्रदायिक एवं सामाजिक हिंसा से पैदा होते हैं।
जब मेनन से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान या चीन भारत के लिए अस्तित्व संबंधी कोई खतरा पेश करते हैं तो उन्होंने कहा, ‘नहीं’। मेनन ने बताया, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, मेरा मानना है कि खतरे आंतरिक हैं।’
मेनन ने कहा, ‘आज भारत के अस्तित्व पर कोई बाहरी खतरा नहीं है, जैसा कि 50 के दशक में या हमारे गठन के समय था। 60 के दशक के अंतिम वर्षों तक आंतरिक अलगाववादी खतरे थे, जो अब नहीं हैं।
मुझे लगता है कि हम वाकई इससे निपट चुके हैं।’ मेनन का लंबा करियर कूटनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और पड़ोसी देशों एवं बड़ी वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के संबंधों से जुड़ा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में मेनन जनवरी 2010 से मई 2014 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद मेनन की पहली किताब ‘च्वॉइसेज:इन्साइड द मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी’ अगले सप्ताह से उपलब्ध होगी।
आंतरिक खतरों के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहे जाने पर उन्होंने कहा, ‘भारत को, भारत की अवधारणा को, भारत की अखंडता को अगर आज वास्तविक खतरे हैं, तो वे वास्तव में देश के भीतर से आते हैं।’ मेनन ने कहा, ‘यदि आप भारत में हिंसा को देखें, आतंकवाद और वामपंथी चरमपंथ से होने वाली मौतों में 21वीं सदी में वर्ष 2014-15 तक लगातार गिरावट आई है।
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